कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है
पर इस दिल की बेचनी तौ, बस ये दीवाना समझता है
तुम मुझसे दूर कैसी हो, में तुमसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
कभी US दीखता है, कभी UK है नुरानी
और ये में भूल ही बैठा, की मेरी गलिया है वीरानी
मैंने पैसे और सोहरत को ही जिंदगी बना डाला
और जिंदगी छोर आये कहाँ, वो बन गयी बेमानी
कभी आज़ाद दीवाना था, कभी रानी झाँसी थी दीवानी
कभी कलाम दीवाना था, या वो फिजा ही थी दीवानी
इस पागलपन को में भी जान लूँ, तौ बात ही क्या है
फिर क्या तौ ढेर पैसे का, और ये माया है बेगानी
की मेरा दिल जो आने पर, आ जाये तौ हंगामा
मेरे दिल में ये ख्वाब जो पल बैठा, तौ हंगामा
अभी तक झूम कर कहते थे सब, की तेरी याद आती है
में याद को हकीकुँत में बदल बैठा, तौ हंगामा
तेरी माँ यूँ ही हसती है, पर छिप छिप कर वो रोती है
होली बेरंग होती है, दिवाली वीरानी सी जाती है
पैसा फोर्टिस का Bed तौ दिलवा देगा मरते को
पर उस जिंदगी का क्या, जो खाली सी जाती है
तेरे घर में भी सब कुछ है, यहाँ भी दिल धरकते है
धरती की बेचनी को जैसे बादल समझते है
तू भी छोर दे पैसे की दुनिया, थोडा बरस ले तू
ये छोटी से जिंदगी है, दिल भी कब तक धरकते है
तुम मुझसे दूर कैसी हो, में तुमसे दूर कैसा हूँ
ये तेरा दिल समझता है, या मेरा दिल समझता है
This is based on another Poem which was originally based on 'Love' written by someone else. However here the new wordings have been introduced.
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